टाटा-मिस्त्री परिवारों में सुलह की संभावना



टाटा-मिस्त्री परिवारों में सुलह की संभावना

रतन टाटा के सौतेले भाई नोएल टाटा को पिछले शुक्रवार को शक्तिशाली टाटा ट्रस्ट का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिसके बाद मेहली मिखी के टाटा ट्रस्ट के अध्यक्ष बनने की संभावना लगभग समाप्त हो गई है। मिस्त्री को टाटा समूह के स्वर्गीय अध्यक्ष एमेरिटस, रतन टाटा का करीबी विश्वासपात्र माना जाता था। रतन टाटा के निधन के बाद, भारत की कारपोरेट दुनिया और सत्ता के गलियारों में यह अफवाह जोरों पर थी कि मेहली मिखी टाटा ट्रस्ट के प्रमुख बनने जा रहे हैं। मेहली मिखी, टाटा समूह के पूर्व अध्यक्ष, स्वर्गीय साइरस मिस्त्री की मौसी के पुत्र हैं। यानी दोनों चचेरे भाई हैं। मेहरजी पल्लोनजी ग्रुप के निदेशक, मेहली मिखी को नवंबर 2022 में सर रतन टाटा ट्रस्ट, इसके सहयोगी टाटा एजुकेशन एंड डेवलपमेंट ट्रस्ट और सर दोराबजी टाटा ट्रस्ट के गैर-कार्यकारी ट्रस्टी के रूप में नियुक्त किया गया था। वे दिन थे जब रतन टाटा का टाटा ट्रस्ट्स में दबदबा था। यह याद रखना महत्वपूर्ण है कि 2016 में साइरस मिखी को टाटा संस के अध्यक्ष पद से हटाने के समय मेहली मिस्त्री रतन टाटा का पूरी तरह से साथ दे रहे थे। रतन टाटा और साइरस मिस्त्री के बीच हुए कटु विवाद ने मीडिया का खूब ध्यान खींचा था। टाटा समूह के जानकारों का कहना है कि हाल के वर्षों में ट्रस्ट्स में मेहली मिखी की भूमिका काफी बढ़ गई थी। इसलिए, टाटा ट्रस्ट्स का प्रमुख बनने के लिए उनका नाम चर्चा में था। टाटा ट्रस्ट्स का नेतृत्व करने के लिए सबसे आगे होने के बावजूद, मेहली मिस्त्री टाटा ट्रस्ट्स का प्रमुख नहीं बन पाए। कहा जाता है कि नोएल टाटा को सर्वसम्मति से शीर्ष पद पर नियुक्त किया गया है। नोएल टाटा की एक सफल और गैर- विवादास्पद व्यवसायी के रूप में प्रतिष्ठा ने टाटा ट्रस्ट्स के प्रमुख के रूप में उनके चयन में निर्णायक भूमिका निभाई। उन्होंने टाटा इंटरनेशनल में अपना करियर शुरू किया था। वे जून 1999 में, टाटा व समूह की खुदरा शाखा ट्रॅट के प्रबंध निदेशक बने, जिसकी स्थापना उनकी मां सिमोन टाटा ने की थी। इस समय तक ट्रेंट ने डिपार्टमेंटल स्टोर लिटिलवुड्स इंटरनेशनल का अधिग्रहण कर लिया था और इसका नाम बदलकर वेस्टसाइड कर दिया था। उन्होंने वेस्टसाइड को विकसित किया, इसे एक लाभदायक उपक्रम बनाया। 2003 में, उन्हें टाइटन इंडस्ट्रीज और वोल्तास का निदेशक नियुक्त किया गया। दूसरी ओर, मेहली मिस्त्री व्यावसायिक सौदों में कुछ गंभीर आरोपों का सामना कर रहे थे। एक प्रमुख विवाद मेहली मिखी के टाटा पावर के साथ व्यावसायिक सौदों से जुड़ा है, जिसमें आरोप लगाए गए थे कि उनकी कंपनी को टाटा पावर द्वारा उचित निविदा प्रक्रिया के बिना आकर्षक दीर्घकालिक अनुबंध दिए गए थे। हालांकि, मेहली मिस्त्री ने इन आरोपों का हमेशा खंडन किया है। यहां तक कि टाटा संस ने भी इस आरोप का खंडन किया है कि मेहली मिस्त्री और उनके सहयोगियों को प्रतिस्पर्धी बोली के बिना टाटा पावर द्वारा दिए गए अनुबंधों से लाभ हुआ। मेहली मिस्री मेहरजी पल्लोनजी ग्रुप के निदेशक रहे हैं। इस बीच, मेहली मिखी कहते रहे हैं कि उन पर लगाया गया आरोप कि वह साइरस मिस्री को टाटा संस के प्रमुख पद से हटाने के पीछे थे, असत्य है। बता दें कि साइरस मित्री का परिवार, अपनी होल्डिंग कंपनी शापूरजी पल्लोनजी के माध्यम से, टाटा संस में 18.37% हिस्सेदारी रखता है, जो उन्हें टाटा ट्रस्ट्स के बाद दूसरा सबसे बड़ा शेयरधारक बनाता है। खैर, मेहली मिस्त्री और साइरस मिखी के बीच का झगड़ा सिर्फ एक निजी विवाद नहीं था, बल्कि एक सार्वजनिक और कानूनी लड़ाई थी, जिसके परिणामस्वरूप वर्षों तक मुकदमेबाजी हुई। मेहली खुलकर रतन टाटा का साथ देते रहे थे। क्या उस विवाद में मेहली मिस्री की कथित भूमिका के चलते उन्हें टाटा ट्रस्ट्स को नेतृत्व करने का मौका नहीं मिला? यह सवाल अभी बना हुआ है। उस विवाद के कारण मेहली मित्री और साइरस मिस्त्री के परिवारों में दूरियां भी बढ़ी थीं। अब जब नोएल टाटा टाटा ट्रस्ट्स का नेतृत्व कर रहे हैं, तो टाटा-मिस्त्री परिवार के भीतर सुलह के एक नए अध्याय की शुरुआत होने की उम्मीद है। यह भी उम्मीद जताई जा रही है कि नोएल टाटा के सक्षम नेतृत्व के चलते टाटा और मित्री परिवार के बीच संबंध सुधरने लगेंगे। टाटा समूह में मेहली मित्री के भविष्य की भूमिका पर सवालिया निशान है, बावजूद इसके कि रतन टाटा के साथ उनके गहरे संबंध थे। टाटा समूह के जानकारों का कहना है कि वे निश्चित रूप से टाटा ट्रस्ट्स का नेतृत्व

करने की क्षमताएं नहीं रखते। बहरहाल, टाटा समूह नोएल टाटा के नेतृत्व में

आगे बढ़ते हुए राष्ट्र निर्माण में अपना खास रोल निभाता रहेगा।

(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं, ये उनके अपने विचार हैं।)

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