DBMS & SQL (with ms access/ms sql server)

Question 1
DBMS क्या है विभिन्न डाटाबेस मॉडल को समझाइए? 

Answer
Dbms  का पूरा नाम डेटाबेस मैनेजमेंट सिस्टम है यह प्रोग्राम का पूरा कलेक्शन होता है जिसके द्वारा यूजर डेटाबेस को क्रिएट डिलीट और मेंटेनेंस कर सकते हैं। Dbms  एक सॉफ्टवेयर है जिसका प्रयोग डेटाबेस में डाटा को स्टोर मैनेज retrieve और डिफाइन करने के लिए किया जाता है।
दूसरे शब्दों में कहे तो डीबीएमएस एक सॉफ्टवेयर एप्लीकेशन है जिसका प्रयोग डेटाबेस को क्रिएट एक्सेस और मैनेज करने के लिए किया जाता है।
यह यूजर और डेटाबेस में मध्य इंटरफेस की तरह कार्य करता हैं इसमें बहुत सारी कमांड्स होती है जिनके द्वारा यूजर आसानी से डेटाबेस में कार्य कर सकता है
कि यह एक जनरल purpose सॉफ्टवेयर सिस्टम है
यह हमें निम्नलिखित सुविधा प्रदान करता है:

1 data definition :-
इसका प्रयोग डेटाबेस को define करने वाली  defination को क्रिएट delete और modify करने के लिए किया जाता है ।

2 data updation :- 
इसका प्रयोग डेटाबेस में मौजूद डाटा को इंसर्ट डिलीट और मॉडिफाई करने के लिए किया जाता है।

3 data retrieval :- 
इसका प्रयोग जरूरत के आधार पर डेटाबेस में से डाटा को retrieve करने के आधार पर किया जाता है।
4 यूजर administrator:-इसका प्रयोग यूजर को रजिस्टर और मॉनिटर करने के लिए किया जाता है और इसका प्रयोग डाटा intergritive को मेंशन करने डाटा सिक्योरिटी प्रदान करने परफॉर्मेंस को मॉनिटर करने और wncurrency कंट्रोल करने लिए किया जाता है इसकी मदद से यूजर डाटा को डाटा बेस में अच्छी तरह स्टोर कर सकता है और उसे आसानी से एक्सेस कर सकता है।

Database modal :- 
Data model यह डिस्क्राइब करता है कि डाटा एक दूसरे से किस प्रकार जुड़े रहते हैं एवं उनके मध्य में रिलेशनशिप कैसी है डाटा मॉडल हमें यह भी डिफाइन करता है कि किस प्रकार डाटाबेस का lojical स्ट्रक्चर बनाया जाया जाता है डाटा मॉडल डाटा को और ऑर्गेनाइज तथा स्टोर करता है।
डाटा मॉडल में तार्किक डिजाइन दो भाग शामिल होते हैं हम कह सकते हैं कि मॉडल जो होते हैं वह डिजाइन की आधारशिला होते हैं।


Question  2  
sql + plus के फीचर्स को समझाइए?

Answer 
एसक्यूएल का पूरा नाम स्ट्रक्चरल क्वेरी लैंग्वेज है यह एक कंप्यूटर प्रोग्रामिंग लैंग्वेज है इसको आईबीएम के दो शोधकर्ता raymond boyee और डोनाल्ड charmberin मैं 1970 में डेवलप किया था इसका प्रारंभिक नाम sequel था जो बाद में एसक्यूएल किया गया इसी प्रोग्रामिंग लैंग्वेज से डेटाबेस को कमान दिया जाता है अर्थात एसक्यूएल की सहायता से डेटाबेस को क्रिएट और डिलीट किया जाता है यह कैसे सेंसिटिव नहीं होता है।
Sql + प्लस के फीचर :
1) sql एक सिंपल और आसान language हैं एम
2) इसकी सहायता से डेटाबेस को क्रिएट और डिलीट किया जाता है।
3) एसक्यूएल की सहायता से डेटाबेस के अंदर टेबल को क्रिएट और डिलीट किया जाता है।
4) इसका उपयोग आरडीबीएमएस में डाटा को मैनिपुलेट करने के लिए किया जाता है।

Question 3 
data constraints kya है इसके  प्रकारों को समझाइए ।

Answer    
जब आप टेबल में डांटा डालने वाले होते हैं तो constraints ही आपको यह निर्णय लेने में सक्षम बनाता है
कि वह डांटा किस प्रकार का होगा।
यह एक सीड के अंदर डाले जाने वाली वैल्यू को रेस्ट्रिक्टर करने में भी काम आता है रेफरल इंटीग्रिटी को स्थापित करने में भी 
Constraints एक अहम भूमिका निभाते हैं अब आप यह सोच रहे होंगे कि यह रेफरल इंटीग्रिटी होता क्या है रेफरल इंटीग्रिटी निमो का एक सेट होता है जो यह देखा है कि अलग-अलग संबंधित टेबल के अंदर के रिकार्ड के बीज का रिलेशनशिप सही है या नहीं।
डाटा constraints  के प्रकार :
Microsoft access  में  constraint के प्रकार और उनका विवरण निम्नलिखित हैं 
Constraint                            description 
 Null/ not null       -  
ये टेबल में रिकार्ड को  डालते समय यह बताता है कि किसी फील्ड को खाली छोड़ जा सकता है या नहीं।

Primary key -
टेबल के अंदर सारे रिकॉर्ड को खास तरीके से एक पहचान देता है इन्हें फील्ड्स id कार्ड समझ लीजिए।

Foreigen key - 
किसी एक टेबल के रिकार्ड को किसी दूसरे टेबल के रिकॉर्डिंग करता है।

अनलॉक key -
यह इस बात को स्थापित करता है की कॉलम के अंदर के सारे वैल्यू अलग-अलग यानी कि डिफॉल्ट है।
Check :- कलम के अंदर डाले गए डाटा का क्राइटेरिया सेट करता है।


Question 4    
Oracle function क्या हैं ?
इसके प्रकार को समझाइए? 

Answer :-  
ओरेकल फंक्शन एक फंक्शन एक ऊप प्रोग्राम है जिसका उपयोग एकल मान वापस करने के लिए किया जाता है। आपको किसी फंक्शन को लागू करने से पहले उसे घोषित और परिभाषित करना होगा इसे एक ही समय में घोषित और परिभाषित किया जा सकता है या पहले घोषित किया जा सकता है और बाद में उसे ब्लॉक में परिभाषित किया जा सकता है।
ओरेकल डेटाबेस एक रिलेशन डाटाबेस प्रबंधन प्रणाली है इसे ओरेकल detabas orekal Db या केवल ओरेकल के नाम से जाना जाता है यह ओरेकल कार्पोरेशन द्वारा निर्मित और विवरण किया जाता है।
ओरेकल डेटाबेस एंटरप्राइज ग्रिड कंप्यूटिंग के लिए डिजाइन किया गया पहला डेटाबेस है कंप्यूटर में काम करने के लिए हमें दो तरह के डिवाइसेज की जरूरत होती है पहली इनपुट डिवाइस दूसरी आउटपुट डिवाइस के द्वारा डाटा व निर्देश कंप्यूटर में डाले जाते हैं जबकि आउटपुट  डिवाइस के द्वारा हम कंप्यूटर द्वारा कर चुके कार्यों के रिजल्ट आ परिणाम हो देख सकते हैं store कर सकते हैं या प्रिंट करके प्राप्त कर सकते हैं । यह दोनों प्रकार की डिवाइसेज कंप्यूटर की पेरीफेरल डिवाइसेज कहलाती है साथ ही यह हार्डवेयर भी है।
ओरेकल फंक्शन के प्रकार :  

Vorchar (size) :- इस डाटा टाइप का यूज अल्फाबेट तथा  numeric data length वाले veriable को स्टोर करने में किया जाता है यह char data types की अपेछा अधिक flexible हैं।
डाटा : इस डाटा टाइप का यूज डाटा को स्टोर करने में किया जाता है जिसका स्टैंडर्ड फॉर्म yyyy -mm-dd होता है।
Long :- टेक्स्ट को स्टोर करने के लिए किया जाता है इसकी मैक्सिमम साइज 2GB होती है ।
Raw :- row data type का यूज बाइनरी डाटा स्टोर करने में किया जाता है इसकी अधिकतम 255 bytes  तक का डाटा रखा जा सकता है।


Question 5  
cursor क्या हैं इसके प्रकारो को समझाए ? 

Answer:- 
कंप्यूटर स्क्रीन में जो तीर के जैसा दिखने वाला निशान होता है जिससे कंप्यूटर स्क्रीन में माउस मूवमेंट की सहायता से चीजों को सेलेक्ट करते हैं ओपन करते हैं या बंद करते हैं उसे ही कर्सर कहा जाता है कंप्यूटर में कर्सर की मदद से कंप्यूटर स्क्रीन में किसी भी चीज को निर्देशित कर सकते हैं।
Types of कर्सर :
1) arrow कर्सर : एक साधारण एरो की तरह दिखने वाला यह कर्सर  कंप्यूटर स्क्रीन में किसी कमांड को सिलेक्ट करने के लिए प्रयोग किया जाता है।
2) sizing  cursor : में दोनो ओर एरो के चिन्ह बने होते है ।
3) wait cursor आपने देखा होगा कर्सर के बगल में एक गोल घूमता है इसे बिजी कर्सर कहते हैं।
4) टेक्स्ट कर्सर : जब भी आप कंप्यूटर में कुछ टाइप करते हैं तो टाइपिंग स्क्रीन  पर आपको पूर्णविराम  का  एक कसर दिखाई देता है इसे ही टेक्स्ट कर्सर कहते हैं।
5) लिंक  कर्सर :   कंप्यूटर में लिंक करसन  पोइटिंग वाले हाथ की समान दिखाई देता है यह कर्सर  केवल तभी दिखाई देता है जबकि लिंक को फॉलो करना होता है।
6) हेल्प कर्सर : यह कर्सर  प्रश्नवाचक चिन्ह की तरह दिखाई देता है यह कर्सर प्रश्नवाचक कर्सर के नाम से जाना जाता है।

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